#630 Ekantik Vartalaap & Darshan/ 08-08-2024/ Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj
In this session, श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज shared valuable insights and teachings. The discourse focused on the importance of Ekantik Bhakti (single-minded devotion) in spiritual life.
Maharaj Ji emphasized that true devotion should be free from any material desires and distractions.
He also spoke about the significance of maintaining purity of mind and heart to attain spiritual progress. The session included a Q&A segment where devotees could seek guidance on their spiritual journey.
Overall, it was an enlghtening experience that encouraged everyone to stay dedicated to their spiritual practices and seek the divine with a pure heart.
TOPICS
00:00 – हमें नाम जप कितनी संख्या में करना चाहिए ?
04:32 – आपका सत्संग सुनकर ऐसा लगता है जैसे महाराष्ट्र के महान संतों के वाक्य हों !
09:01 – एकादशी व्रत के पारण में यदि ब्राह्मण को भोजन न करा पाएं, तो उस धनराशि का क्या किया जाए?
12:28 – कभी-कभी भजन करते समय मन ऐसी जगहों पर भटक जाता है जिसका कोई अर्थ नहीं होता, मार्गदर्शन करें।
15:42 – जैसे ज्ञान की सबसे ऊंची स्थिति ब्रह्मबोध है वैसे ही प्रेम की सबसे ऊंची स्थिति क्या है ?
18:46 – क्या करें कि कोई जान न पाए कि हम भक्ति मार्ग पर चल रहे हैं ?
21:53 – बृजवासियों को कंठी धारण करने की जरूरत है या नहीं ?
26:37 – गुजरात के गायक Kirtidan Gadhvi ने महाराज जी को क्या सुनाया ?
28:48 – इस जन्म में अगर भगवान नहीं मिले तो क्या होगा ?
37:24 – कर्मों का फल हमें कैसे मिलता है ?